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बक्सर का युद्ध कब हुआ
प्लासी के युद्ध के बाद मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया , मीर जाफर अंग्रेजो का कठपुतली नवाब था | अंग्रेज नवाब से अधिक से अधिक धन की मांग करते थे ताकि व्यापार में ज्यादा से ज्यादा निवेश किया जा सके |
1760 ई में बंगाल में नवाब का परिवर्तन –
नवाब मीर जाफर को हटाकर मीर कासिम को बंगाल का नया नवाब बनाया गया | ब्रिटिश कंपनी इस घटना को ‘बंगाल क्रांति ‘ के रूप में निरूपित करती है।, परन्तु यह किसी भी दृस्टि से क्रांति नहीं थी |
मीर कासिम और कंपनी के बीच संघर्ष
-1. मीर कासिम ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से बिहार के मुंगेर में स्थानांतरित कर ली |
2. उसने वहाँ एक गन फैक्टरी (कारखाना ) भी स्थापित की |
3. उसने मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय शासन करने में मदद मांगी |
4. उसने दस्तक के दुरुपयोग पर अंकुश लगा दिया |
अंत में 1764 में बक्सर नामक स्थान पर युद्ध हुआ |
बक्सर का युद्ध का घटनाक्रम –
मीर कासिम अंग्रेजो साथ अकेला युद्ध नहीं कर सकता था क्योकि प्लासी के युद्ध के बाद अपनी सेना को बहुत ज्यादा शक्तिशाली बना लिया था इसलिए बंगाल का नवाब मदद मांगने अवध गया|
- मीर कासिम ने अवध पहुंचकर अवध के नवाब सुजाउद्दौला और मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय को सयुंक्त रूप से अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध करने क लिए मना लिया | अंतत 22 अक्टूबर 1764 ई को बिहार के आरा जिले में स्थित बक्सर में मैदान में दोनों सेना आमने सामने आ गयी| इस युद्ध में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो द्वारा किया गया | दोनों सेनाओ के बीच जमकर युद्ध हुआ | दोनों सेनाओ ने अपनी पूरी शक्ति इस युद्ध में लगा दी अंत में ब्रिटिश सेना ने मीर कसैम और सुजाउद्दौला की सयुक्त सेना को पराजित क्र दिया | और बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो की विजय हुई |
बक्सर के युद्ध के आधार पर हम ब्रिटिश सेना की शक्ति को दर्शा सकते है क्यूकि बक्सर के युद्ध में किसी प्रकार का कोई भी छल नहीं हुआ , बक्सर का युद्ध कंपनी ने अपनी सैन्य शक्ति से जीता है |
बक्सर के युद्ध के बाद कम्पनी को बंगाल की दीवानी मिल गयी | अब कम्पनी ने कच्चा माल ख़रीदने के लिए ब्रिटेन से सोने चांदी का आयत करना बिलकुल बंद कर दिया क्योकि अब कंपनी बंगाल से वसूले गए राजस्व से ही अपने व्यापार को चलाना शुरू कर दिया | भारतीय विद्वानों ने इसको ‘धन की निकासी ‘ कहाँ है |
आगे चलकर धीरे धीरे भारत कच्चे माल का निर्यातक व विनिर्मित माल का आयातक बन गया |\
बक्सर के युद्ध का प्रभाव –
. ब्रिटिश कंपनी व्यापारिक कंपनी से राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित हो गयी |
. कंपनी का नियंत्रण केवल बंगाल पर ही नहीं बल्कि अवध और मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय पर भी हो गया|
. कंपनी ने बंगाल की दीवानी प्राप्त करने के बाद भारतीय व्यापार के वित्तपोषण की समस्या को सुलझा दिया |
1765 इलाहाबाद की संधि बक्सर का युद्ध –
इलाहाबाद की संधि 16 अगस्त 1765 ई मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय और रोबर्ट क्लाइव के बीच हुई , इस संधि के अनुसार ;
- 1. कंपनी को बंगाल की दीवानी मिल गयी
2. कंपनी ने अवध से इलाहाबाद और करा के क्षेत्र अपने नियंत्रण में ले लिए और युद्ध के हर्ज़ाने के तौर पर अवध पर लाखों रुपयों का जुर्माना लगा दिया
३. बंगाल में द्वद शासन लागू कर दिया गया |द्वद शासन – इसमें दीवानी पर कंपनी का सीधा अधिकार थे और शासन व्यवस्था पर कंपनी का अप्रत्यक्ष नियंत्रण था
अप्रत्यक्ष नियंत्रण मतलब – कंपनी ने प्रसासन सँभालने के लिए नबाव के नीचे एक उपनवाब का पद नियुक्त कर दिया और उपनवाब का चयन कंपनी द्वारा किया जाता था तो इस आधार पर है,म क सकते है की कंपनी का बंगाल के प्रसासन पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण था |
इलाहाबाद की संधि के परिणाम –
अब इलाहाबाद की संधि के अनुसार कंपनी को बंगाल की दीवानी वसूलने का अधिकार मिल गया था |इस से कंपनी को लाभ ये हुआ की अब कंपनी को भारत से माल खरीदने के लिए धन ब्रिटेन से नहीं लाना पड़ता था , कंपनी बंगाल से वसूले गए धन से ही व्यापार में निवेश करती थी |
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